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दृष्टिकोण भी नीति भी नियत भी = अखिलेश यादव

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                      भाग :- 1 हम सभी कभी-कभी आपस में चर्चा करते ही रहते है किसी न किसी मुद्दे के साथ कभी वो मुद्दा परिवार का होता है कभी आस पड़ोस का कभी समाज का कभी कभी राजनीति पर भी चर्चा हो ही जाती है , मेरे निजी अनुभव के अनुसार अधिकतर साथी इस बात को सिरे से ख़ारिज करते नजर आते हैं कि जाति या धर्म के आधार पर वोट होना चाहिये सभी का एक ही मत है कि राजनीति विकास के नाम पर व वोट भी विकास के लिए ही दिया जाये, सभी का मानना होता है कि राजनैतिक गलियारों की चर्चा आम आदमी की मूलभूत सुविधाओं सड़क,सुरक्षा,बिजली,पानी,रोटी,कपड़ा,मकान,किसान,नोजवान या रोजगार को लेकर ही होनी चाहिये जब कोई जीते वो किसी भी दल या समाज का हो सबसे पहले इन मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करे , लेकिन ऐसा हम सोचते तो है चर्चा भी इसी मुद्दे पर आकर खत्म हो जाती है लेकिन हम कभी विचार करते है कि क्या हम असलियत में इन्ही मुद्दों पर वोट कर रहे है? क्या हमने जिसे वोट दिया वो इन सभी जरूरतों पर या इनमे से कुछ जरूरतों पर भी ध्यान दे रहा है ? - साथियों हम नही सोचते, चर्चाओं में...