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लोहिया जी की सप्त क्रांति व उनका महत्व

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        डॉ राम मनोहर लोहिया जी की सप्त क्रांतियां  लोहिया जी के अनेक सिद्धान्तों, कार्यक्रमों और क्रांतियों के जनक हैं। वे सभी अन्यायों के विरुद्ध एक साथ हल्ला बोलने के पक्षपाती थे। उन्होंने एक साथ सात क्रांतियों का आह्वान किया। वे सात क्रान्तियां थी ये थीं- (१) नर-नारी की समानता के लिए क्रान्ति, (२) चमड़ी के रंग पर रची राजकीय, आर्थिक और दिमागी असमानता के खिलाफ क्रान्ति ,(३) संस्कारगत, जन्मजात जातिप्रथा के खिलाफ और पिछड़ों को विशेष अवसर के लिए ये    क्रांति ,(४)परदेसी गुलामी के खिलाफ और स्वतन्त्रता तथा विश्व लोक-राज के लिए क्रान्ति, (५) निजी पूँजी की विषमताओं के खिलाफ और आर्थिक समानता के लिए तथा योजना द्वारा पैदावार बढ़ाने के लिए क्रान्ति, (६) निजी जीवन में अन्यायी हस्तक्षेप के खिलाफ और लोकतंत्री पद्धति के लिए क्रान्ति, (७) अस्त्र-शस्त्र के खिलाफ और सत्याग्रह के लिये क्रान्ति। इन सात क्रांतियों के सम्बन्ध में लोहिया ने कहा- मोटे तौर से ये हैं सात क्रांन्तियाँ। सातों क्रांतियां संसार में एक साथ चल रही हैं। अपने देश में भी उनको एक साथ चलाने ...