ऐसा क्यों कर रहा है मीडिया - गौरव जैन

मीडिया कुछ गलत कर रहा है यह सुप्रीम कोर्ट के सवाल ने स्पष्ट कर दिया है -गौरव जैन
     
          आज यह बहुत बड़ा सवाल बनकर खड़ा हो गया है कि सुप्रीम कोर्ट के द्वारा स्पष्ट टिप्पणी के पश्चात यह पूरी तरह सबित हो गया है की मीडिया आज कुछ तो गलत कर रहा है?  बहुत से बुद्धिजीवी पत्रकारों ने बहुत से राजनीतिक व्यक्तियों ने अलग-अलग तरीके से मीडिया को कटघरे में खड़ा किया है किसी का कहना है कि मीडिया सांप्रदायिक हो चुका है किसी का कहना है कि मीडिया सत्ता के दबाव में काम कर रहा है किसी का कहना है कि एक दल विशेष को लाभ पहुंचाने के लिए आज मीडिया ने सांप्रदायिकता की दीवार खड़ी करने का काम किया हैं परंतु आज जब सुप्रीम कोर्ट के द्वारा मीडिया पर टिप्पणी की गई वह टिप्पणी इस प्रकार की थी कि अलग-अलग लोगों द्वारा उठाए गए सवाल आज सही साबित होते नजर आए अब सवाल यह उठता है कि मीडिया ऐसा क्यों कर रहा है क्योंकि मीडिया में कोई एंकर गली मोहल्ले से उठाकर नहीं बना दिया जाता बकायदा पढ़ाई करता है ट्रेनिंग लेता है तब जाकर कहीं उसे किसी चैनल पर मौका मिलता है मतलब यह है कि वह पूरी तरह समझदार है एंकर क्या कर रहे हैं इस बात से भलीभांति परिचित है परंतु ऐसा क्यों किया जा रहा है इस पर आमजन,राजनेताओं व पत्रकारों के अलग-अलग मत हो सकते हैं मेरा मानना यह है कि यह सारा कार्य एक एजेंडे के तहत किया जा रहा है कहीं ना कहीं किसी पूंजीपति का भी इसमें हाथ हो सकता है राजनीतक दलों द्वारा जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का भी डर इसका एक बड़ा कारण हो सकता है या निजी तौर पर खुद किसी एक एंकर की नफरत ही सोच भी इसका एक बड़ा कारण है? जरूरत यह है कि आज इस तरह की नकारात्मक पत्रकारिता ने सारी हदें तोड़ दी है वह देश का माहौल खराब करने में एक बड़ी भूमिका निभाते नजर आ रहे हैं जिस प्रकार सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से इस पर लगाम लगाने की बात कही है जरूरत इस बात की है कि सरकार कुछ नहीं करती है तो निश्चित ही इस देश की न्याय व्यवस्था को इस पर लगाम लगाने के लिए बड़े कदम उठाने चाहियें मैं सलाम करता हूं उन निष्पक्ष पत्रकारों को जो आज के अघोषित इमरजेंसी जैसे माहौलमें भी अपनी बात को निष्पक्ष तरीके से कह रहे हैं इन सब बातों से पर्दा उठा रहे हैं निश्चित ही अजीत अंजुम व रवीश कुमार जैसे नाम इस काम में मील का पत्थर साबित होते रहे हैं साथ ही में वें समाचार पत्र भी जो सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी जैसी खबरें आम जनता के सामने लाने से नहीं कतरा रहे हैं आने वाले समय में जब कभी यह तानाशाही जैसा माहौल खत्म होगा तब आवाज उठाने वालों का नाम इतिहास में दर्ज होगा और कहा जाएगा कि जब आग लग रही थी तब यह लोग आग लगाने वालों में नहीं आग बुझाने वालों में शामिल थे

नोट :- संलग्नक :- कुछ समाचार पत्रों की प्रतिलिपियाँ व उक्त प्रकरण के सम्बंध में

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